Friday 29 January 2016

बेटी हुँ मैं, एक अंश तुम्हारा

बेटी हुँ मैं, एक अंश तुम्हारा
बोझ नही मैं, मैं बनूँगी सहारा

माँ, तुम तो सब समझती हो
तुम भी तो एक बेटी हो
फिर क्यों तुम कभी-कभी
मुझको बोझ कहती हो

मुझको जन्म तो लेने दो
कुछ गलतिया तो करने दो
आपके इस सुने आँगन में, नाजुक कली सी खिलुंगी मैं
जैसे मुझे समझाओगे, बस उन्ही रास्तो पे चलूंगी मैं
बेटी हुँ मैं, एक अंश तुम्हारा
बोझ नही मैं, मैं बनूँगी सहारा
पिताजी,आपके सब संस्कारो का मैं मान करुँगी
पराये घर में भी आपका अभिमान बनूँगी
एक बार ऊँगली पकड़ के चलना तो सिखाओ
फिर आपके हर सपने में, मैं भी रंग भरुंगी

बेटी हुँ मैं, एक अंश तुम्हारा
बोझ नही मैं, मैं बनूँगी सहारा

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