Thursday 12 March 2015

मेरी माँ

सबसे प्यारी है मेरी माँ
परियो की कहानियो की परी है मेरी माँ
चांदनी सी शीतल है मेरी माँ
मेरे अकेलेपन का साथ है मेरी माँ
जो मै हु तो उसकी वजह है मेरी माँ

एक दर्द है,एक मीत है
एक सुनहरा सपना, एक प्यारा सा गीत है

मेरी माँ की कहानी
कुछ उनकहे श्ब्दों सी है
कुछ उनकहे किस्सों सी है
फिर भी ना जाने क्यों सभी ने सुनी सी है

मेरी माँ
गोद में सुला कर लोरिया सुनती है
कभी राजा-रानी तो कभी अपनी कहानी बताती है
मेरी हर राह में फूल बिछाती है
मेरी हर छोटी सी खुसी में बागो सी खिल जाती है

हाथ थाम कर चलना सिखाया
मेरे सपनो के पंख लगा कर मुझे उड़ाया
चलते-चलते राहो में जब भी मै थक जाता हु
मेरी माँ क आँचल के छाँव को मै वहां पाता हु

मेरी हर गलती पे मुझे डांटा करती है
मेरे सहम जाने पर गले से लगाया करती है
सब दर्द भूल जाता हु जब माँ गले से लगाती है
सब बात सिख जाता हु जब माँ मुझे सिखाती है
खुद के दुखो को छुपाती है मेरे भी समेटना चाहती है
मेरे जीवन के आँगन में हर खुशियाँ भरना चाहती है

इन उलझे से रिस्तो में एक सुलझा रिस्ता दिखता है
इसीलिए तो छोटा बच्चा भी माँ का प्यार समझता है
मंदिर- मस्जिद क्यों जाऊ मै
जब हर भगवान मेरी माँ में दिखता है

इंसान ने धर्म और जात बनाये
फिर भी माँ को बाँट ना पाये
कितने ज्ञानी पंडित आये
फिर भी माँ के प्यार की भाषा समझ ना पाये

उसका प्यार दिखावा नही इसमें सब कुछ सच्चा है
माँ की ममता सबके लिए एक समान, वही प्यार की परिभाषा है
माँ की महिमा ना बता सकूंगा
सब्दो में ना बयां कर सकूंगा
अब भी थमने को जी नही चाहता
शायद मै माँ के बारे में कुछ और बताता


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